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कवी ही जानता है भला क्या राज है कविता

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 पंछी की उड़ानों से उड़ाने उसकी ऊंची है जहां पंछी  भी ना पहुंचे वहां पर भी वह पहुंची है पंछी के सहारे से दिया पैगाम है कविता सकल संसार के संघर्ष का परिणाम है कविता। ज्योति भी न कर पाए रोशनी इस कदर कर दे अंधेरों से निकलकर के उजाला मन तलाक कर दें उस की रोशनी को रोशनी, भला क्या ही समझेगी अंधेरों को मिटा के रोशनी का पैगाम है कविता। कभी लहरें हैं सागर की कभी तूफान बन कर के मुसाफिर की तरह चलती कभी एहसास बनकर के अकेले राहों में चलने का साहस रखती है हरदम तले में सागरों के हैं कभी कभी पर्वत की चोटी पे किसी के प्रेम का सागर,किसी के स्नेह की सरिता  किसी के सब्र की गंगा किसी संघर्ष की गाथा  कभी मां की मोहब्बत को पिता के प्यार को कहती  रहस्यों का अनूठा सा कोई भंडार है कविता । किसी के शौर्य को कहती,किसी पर गर्व करती है  न जाने कब कहां पर क्या कविता संघर्ष करती है । सकल संसार को कुछ चंद शब्दों में समेटे जो हृदय में एहसास बनकर के कभी ईश्वर से भेंटे जो शब्दों के सहारे से आत्मा को जो समझा दे  जो बोले साथ में उसका हमें एहसास करवा दे सकल जीवन की गाथा का एक नाम है कविता। हमेशा सत्य कहती है नहीं कुछ झूठ है