कवि ही जानता है भला क्या राज है कविता
1
पंछी की उड़ानों से उड़ाने उसकी ऊंची है
जहां पंछी भी ना पहुंचे वहां पर भी वह पहुंची है
पंछी के सहारे से दिया पैगाम है कविता
सकल संसार के संघर्ष का परिणाम है कविता।
2
ज्योति भी न कर पाए रोशनी इस कदर कर दे
अंधेरों से निकलकर के उजाला मन तलक कर दें
उस की रोशनी को रोशनी, भला क्या ही समझेगी
अंधेरों को मिटा के रोशनी का पैगाम है कविता।
जीवन में नये प्रकाश का संचार है कविता.
कभी लहरें हैं सागर की कभी तूफान बन कर के
मुसाफिर की तरह चलती कभी एहसास बनकर के
अकेले राहों में चलने का साहस रखती है हरदम
तले में सागरों के हैं कभी कभी पर्वत की चोटी पे
सूरज चंद तारों को सकल ब्रह्माण्ड को कहती
कल्पनाओं का विचारो से हुआ सदभाव है कविता .
3
किसी के प्रेम का सागर,किसी के स्नेह की सरिता
किसी के सब्र की गंगा किसी संघर्ष की गाथा
कभी मां की मोहब्बत को पिता के प्यार को कहती
रहस्यों का अनूठा सा कोई भंडार है कविता ।
3
किसी के शौर्य को कहती,किसी पर गर्व करती है
न जाने कब कहां पर क्या कविता संघर्ष करती है ।
सकल संसार को कुछ चंद शब्दों में समेटे जो
हृदय एहसास बनकर के कभी ईश्वर से भेंटे जो
शब्दों के सहारे से जो आत्मा में बस जाए
जो बोले साथ में उसका हमें एहसास करवा दे
सकल जीवन की गाथा का भी यहाँ एक नाम है कविता।
जीवन में नये प्रकाश का संचार है कविता.
5
हमेशा सत्य कहती है नहीं कुछ झूठ है उसमें
जो सीधे हृदय में उतरें वो ऐसे शब्द है कहती
शायद परमात्मा की जुबां कोई कविता ही कहती है,
वरना इतनी रहस्यमई यह दुनिया नहीं होती।
भला क्या कह रही कविता समझ सकना नामुमकिन है
भला किसकी समझ है ये जनाने की लगी धुन है
जो डूबा है कभी इसमें मर्म को वह ही समझाएगा ,
यह कविता रहस्य क्या है यह तो कोई कवि ही बतायेगा,
अभी तक इस विषय में अज़नबी इतना ही जाना है,
प्रेम की उपज है कविता कवि इसका दीवाना है,
प्रेम भक्ति से था तो यहां कबीरा दीवाना था ,
प्रेम जब देश का था तो निराला भी दीवाना था,
कवि ही जानता है भला क्या राज है कविता,
न जाने कौन से संघर्ष का आगाज है कवित......
अज़नबी कलम से.....
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