एक नजर। जो देख रही है हमें।




उस एक नजर से एक नजारा,

देखने की ख्वाहिश मे

नजरे दौड़ाने लगी मै उपर ,तारों की नुमाइश में

चमक रहे थे सभी चकाचौंध बहुत थी ,

कुछ एक अपनी पहचान अलग थी,

और खो गई नजर भी ,

उन्ही की चमक में , क्योंकी !

नींद के नशे में ,शायद राह में लडखडा गई थी,

क्योंकि अब यह सपनों की तरफ आ गई थी।

हर नजारे को, एक नए नजरिए से देखती नजर

सतरंगी जहां के रंगो में डूबती जा रही थी,

ये खुशमिजाज नजर गुजर रही थी ,

ऐक खूबसूरत शहर से,

सब ठीक था , फिर अचानक!!!!!!!!!! देखा

नजारा खौफनाक था तबाही ही तबाही थी,

वो मंजर दर्दनाक था, नजर के होंश उड गए

अब नजर में बस अंधेरा ही अंधेरा था

हृदय की नब्ज तेज थी , और मन डर गया था,

क्योंकि वह खौफनाक दृश्य मात्र एक कल्पना थी,

मेरे डरपोक मन की,चित्रांकन। जिसका नजर ने देख लिया था।

पर एक नजर का आभास,मेरी आत्मा करा करती है

जिस नजर के कारण,कुछ गलत करने से डरती है,

क्योंकि वह जानती है उसकी नजर हमें देख रही है

जिससे कोई नहीं छुप सकता।

वो परमात्मा की नजर है हम पर। 


L.S.MAHAUR...

 

Comments

Unknown said…
Achchha prayas
Komal Vajpeyi said…
Mind_blowing my dear ❤💯👍
Komal Vajpeyi said…
Mind_blowing my dear ❤💯👍

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