कारगिल को वापिस पा लिया

संतरी ये  सर जमी   संतरी गगन हुआ 
माँ भारती के स्वाभिमान को रक्त दे बचा लिया 
कुछ मौत से भी लड गए  कुछ ने गले लगा लिया
 खदेड के अरि दल को सर जमीं को वापस पा लिया
रणबांकुरो के शौर्य ने कारगिल को वापस ला दिया

ना जाने कौन है वो लाल देवदूत जान पडते है 
वरना प्रकृति के नियम किसके लिए बदलते है

शून्य से नीचे तापमान पर जमने लगता है खून जहां 
चटखने लगती हैं हड्डी शिथिल पड जाती हैं पेशियां
उस _48° ठंड मे जो राइफल्स टांग के निकल पडे 
18000फीट ऊंचाई को फतह करने चल पडे 
मां भारती की शान पर अरि दल से जाकर भिड गये 
नाकाम कर शत्रु की  चाल फहरा दिया तिरंगा है 
इस देश की फिजाओं मे उनकी जांबाजी जिंदा है 

हर शब्द छोटा पड गया  प्रसंशा मैं उनकी क्या करुं
वीरता को उनकी बस सलाम करती जाती हूं
मां भारती के भाल को केसरी रंग में रंगा 
उनकी शहादतों पे फक्र से नमन करना चाहती हूँ ।







Comments

Anonymous said…
JAI HIND

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