नशा मुक्ति एवं सामाजिक सरोकार पर निबंध

नशा मुक्ति एवं सामाजिक सरोकार


नशाखोरी हमारे समाज में एक बहुत बड़ी समस्या है । या ना हमारे सिर्फ समाज की बल्कि पूरी मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है । इस समस्या ने हमें बहुत ही गहराई तक घेर रखा है ,बहुत ही बड़ी संख्या में लोग इस नशे की बीमारी से ग्रस्त हैं। दुनिया भर में लोग नशे को अपना फैशन बना कर बैठे हुए हैं,  अब यह नशा लोग फैशन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे भारतीय समाज में पश्चिमी देशों की नकल करते हुए नशे को अपना फैशन बनाने की होड़ हो रही है ।ऐसी स्थिति में नशा मुक्ति हमारे देश के लिए सामाजिक सरोकार का वह साबित होता है।

सामाजिक सरोकार से मतलब है समाज से जुड़कर ,समाज में घुलकर ,समाज के नजदीक से जानकर ,समाज में सुधार लाने की कोशिश करना नशा एक बहुत बड़ी समस्या है इससे निजात पाकर हम अपने समाज को खुशहाल बना सकते हैं ,कई सारे अपराध पररोक लगा सकते हैं।


प्रस्तावना:- नशाखोरी भारतीय समाज में बड़ी समस्या बन चुकी है, अक्सर लोग जीवन के तनाव तथा विफलताओं से पीछा छुड़ाने के लिए नशे की लत का सहारा लेते हैं ,जिसका परिणाम उन्हें एक दिन नशे का गुलाम बना देता है। ह्रदय  की पवित्रता तथा विचारों की शुद्धता ,के लिए नशा मुक्ति बेहद जरूरी है। यह एक तरह का संघर्ष है  पिछले कुछ वर्षों से भारत में नशे के लिए ड्रग और मादक पदार्थों का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है ,एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 7000000 लोग नशे की लत के शिकार हैं ,जिनमें लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है ,और गैर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है स्कूली छात्रों की एक सर्वे में पाया गया है, कि भारत में नौवीं कक्षा तक पहुंचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है।  हम सब जानते हैं, नशा नाश है ,और आजकल नशे के आदी छोटे बच्चे भी हो रहे हैं ,युवाओं के साथ ही बड़े बुजुर्गों को भी नशे ने गिरफ्त में ले रखा है ,लेकिन युवा पीढ़ी अधिक प्रभावित है युवा के अंदर जिस लड़के ही नहीं लड़कियां भी शामिल है, नशा करने वाला व्यक्ति घर देश और समाज के लिए बहुत बड़ा बोझ बन जाता है, ना ही उसका वर्तमान होता है ना ही भविष्य उसके अंत में भी लोग दुखी नहीं होते हैं ,देश में आज आतंकवाद, नक्सलवाद ,बेरोजगारी की समस्या पर रही है, इसका जिम्मेदार कुछ हद तक नहीं क्यों माना जा रहा है नशे के चलते इंसान अपनी सोचने समझने की क्षमता खो देता है  ,और गलत राह अपनाता है किसी भी देश में लोगों को नशा मुक्ति के लिए जागरूक करने को सामाजिक सरोकार के द्वारा प्रयास किया जा सकता है।



सामाजिक सरोकार का मतलब होता है, कि हम जनसाधारण के पास आए उसे उनकी समस्याएं पूछे और हम सबको इसके लिए प्रयासरत रहना  होगा।


नशाखोरी का हमारे समाज में फैलने के कारण क्या-क्या हो सकते है 
नशा खोरी एक गम्भीर बीमारी है।



शिक्षा की कमी   देश में अशिक्षा आज भी व्याप्त है ,सरकार इसकी और कड़े कदम उठा रही है, शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में बहुत साफ है ,लेकिन नशे की लत का स्कूली शिक्षा से कहीं भी लेना देना नहीं है, इसके लिए हमारे जीवन में नैतिक शिक्षा एवं उससे जुड़े उदाहरणों का होना अति आवश्यक है ,ताकि नशे जैसी बुराई को दूर रखें।

नशा संबंधी पदार्थों की खुलेआम बिक्री   नशेे से होने वाले दुष्परिणामों को जाने के बाद भीी हमारे देेश में खुलेआम नशीलेेे पदार्थों को बेटा जा रहाा है ताकि अधिक से अधिक लोग आकर्षित होकर ऐसे खरीदें ।

  •  Aksar Yuva Jo स्कूल कॉलेजों में पढ़ते हैं वह गलत संगति में पढ़ने के पश्चात नशा करते हैं।
  • कुछ लोग नशा को मॉडर्नता का का माध्यम मानते हैं उनका मानना होता है कि नशा करने से लोग उन्हें एडवांस समझेंगे नशा को अमीरों की शान माना जाता है उन्हें लगता है कि नशा करने से हमारा रुतबा सबको देखेगा।

  • पश्चिमी सभ्यता में मादक पदार्थों को सामाजिक रूप से स्वीकारा गया है, इसे देखकर हमारे देश के लोग पश्चिमी सभ्यता में ढलने के लिए नशा अपनाते हैं, सिनेमा जगत का नशाखोरी फैलाने में बड़ा हाथ है, फिल्मों में टीवी पर देखा जाता है कि दिल टूटने पर हीरो शराब पीने लगता है बस यह भी देख कर अपने युवा भी इसे अपने  जीवन में उतार लेते हैं गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने के बाद वह भी देवदास बन जाते है।

  • तनाव भी नशा करने का एक बड़ा कारण होता है ,अक्सर लोग डिप्रेशन में जाने के बाद नशे को अपना सहारा बना लेते हैं।
नशाखोरी के दुष्परिणाम  
  • इस आदत से व्यक्ति  खुद को चारित्रिक तथा शारीरिक नुकसान पहुंचाता ही है साथ ही अपनी आय का भी एक बहुत बड़ा भाग नशीले पदार्थों पर खर्च कर देता है।

  • नशाखोरी का तात्कालिक प्रभाव आर्थिक विपन्नता के रूप में सामने आता है हम अपने दैनिक जीवन में ऐसे सैकड़ों लोगों को देखते हैं जिनके लिए दो जून का भोजन का प्रबंध करना कठिन हो जाता है परिवार के कमाने वाले सदस्य नशे की हालत में रहने के कारण कई आर्थिक परेशानियों से उन्हें गुजरना पड़ता है।


  • नशाखोरी की आदत व्यक्ति को पतन की ओर धकेल देती है, ना तो उसका वर्तमान होता है ,ना ही वह अच्छे भविष्य को पा सकते हैं ,तंबाकू सिगरेट पीने लोगों के शरीर में नशा फेफड़े गुर्दा दिल समेत शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को भी निष्क्रिय बना देता है, यहीं से कई बीमारियों को दावत देने की कहानी की शुरुआत होती है। 
नशे की रोकथाम के उपाय क्या-क्या हो सकते हैं।- 
  • विधिक सेवा संस्थानों का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे इस ड्रग की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

  • विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेषज्ञों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना नीति बनानी चाहिए इसके तहत आमजन को दक्ष की रोकथाम के लिए बने कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए।

  • स्कूलों कालेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं विद्यार्थियों को विधिक सेवा व शांति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशामुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुंचाना चाहिए।

  • विधिक सेवा संस्था द्वारा नशा मुक्ति केंद्रों का दौरा करना साथ छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श देने चाहिए।

  • युवाओं को नशे से बचाने के लिए उन्हें नैतिक शिक्षा के उदाहरणों द्वारा नुकसान से अवगत कराना चाहिए अगर किसी युवक या युवती में नशे की शुरुआती लक्षण दिख रहे हैं तो उसका शीघ्र ही उपचार कराएं बाद में नशा बहुत ही घातक घातक परिणाम दे सकता है।

  • अध्यात्म नशे से छूटने और बचे रहने का सबसे सरल एवं पक्का इलाज है।

"अध्यात्म के द्वारा हम आसानी से नशे जैसी बुराई से निजात पा सकते हैं इसलिए हमें अपने अंदर अध्यात्म को विकसित करना चाहिए।"


"मेरे हिसाब से नशा अंधेरा है जिसे अच्छे संस्कारों एवं अध्यात्म की रोशनी से खत्म किया जा सकता है।"


उपसंहार 

नशे जैसी विकराल बुराई से अपने समाज अपने देश को बचाने के लिए हमें मिलकर संकल्प करना चाहिए ,कि हम नए विचारों का समाज बनाए इसमें सामाजिक बुराइयों का कोई स्थान न हो जो व्यक्ति नशेड़ी है, कोशिश करें, कि हम उन्हें यह डर छुड़ाने में मदद करें, एक अच्छे समाज का सदस्य होने के नाते उनके कठिनाई भरे जीवन पर बुरे कमेंट करने के बजाय उनका इस बुराई से पीछा छोड़ने में साथ दें, हम अपने समाज के लोगों को भी जागरूक बनाएं तथा भविष्य में कोई भी व्यक्ति गलत राह को न चुने इसके लिए जागरूक रहें किसी भी सामाजिक बुराई के विपरीत समाज में जाकर जागरूकता फैलाना हमारे हिसाब से सामाजिक सरोकार का ही विषय होगा।





धन्यवाद 😊
















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