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 *एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य*  हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. ये दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी. शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. WFMH के अध्यक्ष डॉ इंग्रिड डेनियल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 के लिए थीम की घोषणा की है जो 'एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य' है ।  इस विषय को डब्ल्यूएफएमएच सदस्यों, हितधारकों और समर्थकों सहित वैश्विक वोट द्वारा चुना गया था क्योंकि दुनिया तेजी से ध्रुवीकृत हो रही है, बहुत अमीर अमीर बन ...

प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों का रसायन ( chemistry of elements a first transition series) bsc 2nd part

👉संक्रमण तत्व किसे कहते हैं 👆आवर्त सारणी के वे तत्व इनके परमाणु अथवा आयन में  डी कहैक्षक  पूर्ण रूप से भरे हुए संक्रमण तत्व कहलाते हैं। आवर्त सारणी के एस ब्लॉक एवं पी ब्लॉक के तत्वों को जोड़ने वाले तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं । एस ब्लॉक के तत्व प्रबल विद्युत धनी होते हैं एवं आयनिक बंध बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं ।  p ब्लॉक मे वर्ग 13  के तत्व सहसंयोजक बंध बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं। इन दोनों स्थितियों के मध्यवर्ती गुण वाले तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैंइन दोनों स्थितियों के मध्यवर्ती गुण वाले तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं।अर्थाअर्थात संक्रमण तत्व के गुणधर्म sव pब्लॉक तत्वों के गुणों के मध्यवर्ती होते हैं । Note : वर्ग 12 के सदस्यों (zn ,cd, hg ,Unb ) कौशल प्रमाण पत्र नहीं माना जाता है क्योंकि इनके परमाणु में एवं उचित ऑक्सीकरण अवस्था +२ में d  कक्षक पूर्ण भरे  होते हैं। वर्ग 3 से वर्ग 12 तक के सभी तत्व d ब्लॉक तत्व  में सम्मिलित होते हैं।द ब्लॉक तत्वों का सामन्य electronic विन्यास( n-1 )d ^(1-10)ns^2 होता है।   D block तत्वों के अभिलाक्षणिक...

नशा मुक्ति एवं सामाजिक सरोकार पर निबंध

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नशा मुक्ति एवं सामाजिक सरोकार नशाखोरी हमारे समाज में एक बहुत बड़ी समस्या है । या ना हमारे सिर्फ समाज की बल्कि पूरी मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है । इस समस्या ने हमें बहुत ही गहराई तक घेर रखा है ,बहुत ही बड़ी संख्या में लोग इस नशे की बीमारी से ग्रस्त हैं। दुनिया भर में लोग नशे को अपना फैशन बना कर बैठे हुए हैं,  अब यह नशा लोग फैशन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे भारतीय समाज में पश्चिमी देशों की नकल करते हुए नशे को अपना फैशन बनाने की होड़ हो रही है ।ऐसी स्थिति में नशा मुक्ति हमारे देश के लिए सामाजिक सरोकार का वह साबित होता है। सामाजिक सरोकार से मतलब है समाज से जुड़कर ,समाज में घुलकर ,समाज के नजदीक से जानकर ,समाज में सुधार लाने की कोशिश करना नशा एक बहुत बड़ी समस्या है इससे निजात पाकर हम अपने समाज को खुशहाल बना सकते हैं ,कई सारे अपराध पररोक लगा सकते हैं। प्रस्तावना :- नशाखोरी भारतीय समाज में बड़ी समस्या बन चुकी है, अक्सर लोग जीवन के तनाव तथा विफलताओं से पीछा छुड़ाने के लिए नशे की लत का सहारा लेते हैं ,जिसका परिणाम उन्हें एक दिन नशे का गुलाम बना देता है। ह्रदय  की पवित...

रश्मीरथी षष्ठम सर्ग ( रामधारी सिंह दिनकर)

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नरता कहते हैं जिसे, सत्तव क्या वह केवल लड़ने में है ? पौरूष क्या केवल उठा खड्ग मारने और मरने में है ? तब उस गुण को क्या कहें मनुज जिससे न मृत्यु से डरता है ? लेकिन, तक भी मारता नहीं, वह स्वंय विश्व-हित मरता है। है वन्दनीय नर कौन ? विजय-हित जो करता है प्राण हरण ? या सबकी जान बचाने को देता है जो अपना जीवन ? चुनता आया जय-कमल आज तक विजयी सदा कृपाणों से, पर, आह निकलती ही आयी हर बार मनुज के प्राणों से। आकुल अन्तर की आह मनुज की इस चिन्ता से भरी हुई, इस तरह रहेगी मानवता कब तक मनुष्य से डरी हुई ? पाशविक वेग की लहर लहू में कब तक धूम मचायेगी ? कब तक मनुष्यता पशुता के आगे यों झुकती जायेगी ?   यह ज़हर ने छोड़ेगा उभार ? अगांर न क्या बूझ पायेंगे ? हम इसी तरह क्या हाय, सदा पशु के पशु ही रह जायेंगे ? किसका सिंगार ? किसकी सेवा ? नर का ही जब कल्याण नहीं ? किसके विकास की कथा ? जनों के ही रक्षित जब प्राण नहीं ? इस विस्मय का क्या समाधान ? रह-रह कर यह क्या होता है ? जो है अग्रणी वही सबसे आगे बढ़ धीरज खोता है। फ...

रश्मिरथी पंचम सर्ग (रामधारी सिंह दिनकर)

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आ गया काल विकराल शान्ति के क्षय का, निर्दिष्ट लग्न धरती पर खंड-प्रलय का. हो चुकी पूर्ण योजना नियती की सारी, कल ही होगा आरम्भ समर अति भारी. कल जैसे ही पहली मरीचि फूटेगी, रण में शर पर चढ़ महामृत्यु छूटेगी. संहार मचेगा, तिमिर घोर छायेगा, सारा समाज दृगवंचित हो जायेगा. जन-जन स्वजनों के लिए कुटिल यम होगा, परिजन, परिजन के हित कृतान्त-सम होगा. कल से भाई, भाई के प्राण हरेंगे, नर ही नर के शोणित में स्नान करेंगे. सुध-बुध खो, बैठी हुई समर-चिंतन में, कुंती व्याकुल हो उठी सोच कुछ मन में. 'हे राम! नहीं क्या यह संयोग हटेगा? सचमुच ही क्या कुंती का हृदय फटेगा? 'एक ही गोद के लाल, कोख के भाई, सत्य ही, लड़ेंगे हो, दो ओर लड़ाई? सत्य ही, कर्ण अनुजों के प्राण हरेगा, अथवा, अर्जुन के हाथों स्वयं मरेगा? दो में जिसका उर फटे, फटूँगी मैं ही, जिसकी भी गर्दन कटे, कटूँगी मैं ही, पार्थ को कर्ण, या पार्थ कर्ण को मारे, बरसेंगें किस पर मुझे छोड़ अंगारे? 'भगवान! सुनेगा कथा कौन यह मेरी? समझेगा जग में व्यथा कौन यह मेरी? हे राम! निरावृत किये बिना व्रीडा को, है कौन, हरेगा जो मेरी पीड़ा को? गांधारी महिमामयी, भीष्म ग...